एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
महाभारत काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद shiv chalisa lyricsl नहिं पाई॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥